“सैलरी 10 तारीख को ही खत्म हो जाती है? जानें संजय कथूरिया के वो 7 गुप्त नियम और ‘3 बैंक अकाउंट फॉर्मूला’ जो टॉप 0.1% अमीर लोग इस्तेमाल करते हैं। अपनी सैलरी को निवेश करने और अमीर बनने का असली तरीका यहाँ जानें।”
प्रस्तावना: 10 तारीख का श्राप और महीने के अंत का संघर्ष
हम सभी उस भावना को जानते हैं—

महीने की 1 तारीख को फोन पर “Salary Credited” का मैसेज आता है और हमें लगता है कि हम दुनिया के राजा हैं। हम पार्टी प्लान करते हैं, शॉपिंग कार्ट चेकआउट करते हैं और दोस्तों के साथ बाहर जाने का प्लान बनाते हैं।
लेकिन 10 या 15 तारीख आते-आते हकीकत सामने आने लगती है। अकाउंट खाली होने लगता है और महीने के आखिरी दिनों में हम “Month End Vibes” यानी तंगी में जीते हैं।
क्या यह कहानी आपकी भी है? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। भारत में 90% वेतनभोगी (Salaried) लोग इसी चक्र (Cycle) में फंसे हुए हैं। लेकिन टॉप 0.1% अमीर लोग—जो वास्तव में धनवान हैं—वे अपनी सैलरी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते।

ग्रो (Groww) के पॉडकास्ट में फाइनेंस एक्सपर्ट संजय कथूरिया ने धन प्रबंधन (Money Management) के कुछ ऐसे क्रांतिकारी नियम बताए हैं जो आपको किसी स्कूल या कॉलेज में नहीं सिखाए गए। आज के इस विस्तृत लेख में, हम उसी वीडियो का पूरा निचोड़ (Deep Dive Analysis) आपके सामने रख रहे हैं।
अध्याय 1: सबसे बड़ी गलती – सैलरी अकाउंट और UPI का जानलेवा कनेक्शन
संजय कथूरिया के अनुसार, आज की तारीख में पैसे बर्बाद करने का सबसे बड़ा कारण है—पैसे की आसान उपलब्धता (Availability)।
जब आपका सैलरी अकाउंट आपके UPI (Google Pay, PhonePe, Paytm) से जुड़ा होता है, तो आपका दिमाग उसे “खर्च करने योग्य पैसा” मानता है।
आप एक दुकान पर गए, QR कोड देखा, स्कैन किया और पेमेंट कर दिया।
यह इतना आसान है कि आपको खर्च करने का ‘दर्द’ महसूस ही नहीं होता।
समाधान: 3 बैंक अकाउंट सिस्टम (The 3-Account Rule)
अमीरों की तरह पैसा मैनेज करने के लिए आपको अपने पैसों को तीन अलग-अलग बक्सों (Accounts) में बांटना होगा। इसे “वेयरहाउस स्ट्रैटेजी” कहते हैं:
1. द वेयरहाउस अकाउंट (Salary Account)
यह आपका मुख्य सैलरी अकाउंट है।
नियम: इसे किसी भी UPI ऐप से लिंक न करें। इसका डेबिट कार्ड घर की अलमारी में लॉक रखें।
काम: इसका काम सिर्फ पैसा रिसीव करना है और उसे सही जगह भेजना है। इसे ‘खर्च’ के लिए इस्तेमाल न करें।
2. द इन्वेस्टमेंट अकाउंट (Investment Account)
सैलरी आते ही (मान लीजिए 1 तारीख को), सबसे पहले एक निश्चित रकम इस अकाउंट में ट्रांसफर करें।
नियम: “Pay Yourself First” (सबसे पहले खुद को भुगतान करें)। खर्चे बाद में, निवेश पहले।
यहाँ से आपकी SIP, Stocks और Mutual Funds का पैसा कटेगा।
3. द एक्सपेंस अकाउंट (Expense Account)
यह आपका ‘खर्च करने वाला’ अकाउंट है।
अपने महीने के बजट (किराया, खाना, पेट्रोल, ईएमआई) का हिसाब लगाएं और सिर्फ उतना ही पैसा ‘वेयरहाउस’ से इसमें डालें।
नियम: सिर्फ इसी अकाउंट को UPI से लिंक करें। जब इसमें पैसा खत्म हो जाए, तो समझ लें कि महीने का कोटा पूरा हो गया।
अध्याय 2: निवेश की ‘खिचड़ी स्ट्रैटेजी’ (The Khichdi Analogy)
नए निवेशक अक्सर जोश में होश खो बैठते हैं। वे शेयर बाजार में आते ही सबसे ज्यादा रिस्क वाली जगहों पर हाथ डालते हैं—जैसे Futures & Options (F&O), Intraday Trading, या Penny Stocks।
संजय एक बहुत ही सुंदर कहानी सुनाते हैं:
“एक बार एक व्यक्ति गरम खिचड़ी खा रहा था। उसने सीधा बीच में (Center) हाथ डाला और उसका हाथ जल गया। तब चाणक्य ने उसे समझाया—मूर्ख! खिचड़ी हमेशा किनारे (परिधि) से खानी शुरू की जाती है, क्योंकि बीच में वो सबसे ज्यादा गरम होती है।”
शेयर बाजार में इसका मतलब:
परिधि (Periphery): शुरुआत SIP और Mutual Funds से करें। यह सुरक्षित किनारा है। पहले 6-12 महीने यहाँ बिताएं और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझें।
मध्य (Center): जब आप अनुभवी हो जाएं, तब डायरेक्ट स्टॉक्स, और अंत में F&O (जो एकदम बीच का हिस्सा है) की तरफ देखें।
सीख: अगर आप पहले दिन ही F&O करेंगे, तो हाथ जलना तय है।
अध्याय 3: जनरेशनल वेल्थ और 1% का जादुई नियम
हम अक्सर सोचते हैं कि अमीर बनने के लिए बहुत बड़ी रकम चाहिए। लेकिन ‘जनरेशनल वेल्थ’ (ऐसी दौलत जो पीढ़ियों तक चले) बनाने के लिए आपको बहुत पैसे की नहीं, बल्कि बहुत समय (Time) की जरूरत है।
1% का नियम क्या है?
संजय कहते हैं कि आप अपनी सैलरी का सिर्फ 1% हिस्सा लें।
उदाहरण: अगर आपकी सैलरी ₹1 लाख है, तो सिर्फ ₹1,000।
इस ₹1,000 को किसी High Risk Small Cap Fund में डालें।
और इसे 30-40 साल के लिए भूल जाएं।
कंपाउंडिंग का असली जादू (गणित देखिए)
केस स्टडी: वॉरेन बफे (Warren Buffett) ने 11 साल की उम्र में निवेश शुरू किया था। आज उनकी 90% से ज्यादा संपत्ति उनके 65वें जन्मदिन के बाद बनी है।
गणना: अगर आप ₹1,000 की SIP 60 साल तक करते हैं (मान लीजिए अपने पोते के लिए) और उस पर 19-20% का रिटर्न मिलता है (जो ऐतिहासिक रूप से अच्छे फंड्स ने दिया है), तो वह रकम 700 करोड़ रुपये से ज्यादा हो सकती है!
यह सुनने में अविश्वसनीय लगता है, लेकिन यही “Power of Compounding” है। यह एक ‘बीस्ट’ (Beast) है जो लंबे समय में अपना असली रूप दिखाता है।
अध्याय 4: इंश्योरेंस का सही गणित (The LIFE Framework)
भारत में लोग इंश्योरेंस को ‘इन्वेस्टमेंट’ समझते हैं। वे पूछते हैं, “अगर मैं नहीं मरा, तो क्या पैसे वापस मिलेंगे?”
संजय कहते हैं, “मुबारक हो कि आप नहीं मरे! इंश्योरेंस मरने के लिए नहीं, परिवार को सुरक्षा देने के लिए लिया जाता है।”
आपको कितने का Term Insurance लेना चाहिए? इसके लिए LIFE फ्रेमवर्क का उपयोग करें:
L = Liabilities (कर्ज): आपके ऊपर जितना भी लोन है (होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन)। मान लीजिए ₹50 लाख।
I = Income (आय): आपकी सालाना आय का कम से कम 10 गुना। (ताकि आपके न रहने पर परिवार को 10 साल तक आय की कमी न हो)। मान लीजिए ₹1 करोड़।
F = Future Goals (भविष्य के लक्ष्य): बच्चों की पढ़ाई, शादी आदि का खर्च। मान लीजिए ₹1 करोड़।
E = Emergency Fund: परिवार के 2-3 साल के राशन-पानी का खर्च। मान लीजिए ₹25 लाख।
कुल कवर = (L + I + F + E) – (आपकी वर्तमान संपत्ति)
यह गणना आपको एक सटीक नंबर देगी, न कि एजेंट द्वारा थोपा गया कोई रैंडम नंबर।
अध्याय 5: कर्ज और घर खरीदने का निर्णय (Debt & Real Estate)
क्या आपको iPhone EMI पर लेना चाहिए? क्या आपको बड़ा घर लोन पर लेना चाहिए? यहाँ नियम बहुत सख्त हैं।
1. Bad Debt (बुरा कर्ज) का नियम
कोई भी ऐसी चीज जो समय के साथ अपनी वैल्यू खो देती है (फोन, गाड़ी, वेकेशन), उसके लिए ली गई EMI आपकी Take Home Salary के 15% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
अगर आप ₹1 लाख कमाते हैं, और आपकी कार की EMI ₹20,000 है, तो आप खतरे में हैं।
2. घर: खरीदना या किराए पर रहना? (Buy vs Rent)
हम अक्सर इमोशनल होकर घर खरीदते हैं। संजय एक बहुत ही गहरी Case Study शेयर करते हैं:
मित्र की कहानी: बैंगलोर में एक दोस्त 2.5 करोड़ का घर लेना चाहती है।
विकल्प A (घर खरीदना): वह 1.25 करोड़ डाउन पेमेंट देती है और 1.25 करोड़ का लोन लेती है। 25 साल बाद घर की कीमत 8.5 करोड़ होगी, लेकिन उसने लोन ब्याज के रूप में करोड़ों चुका दिए होंगे। अंत में उसके पास सिर्फ एक घर बचेगा।
विकल्प B (निवेश करना): वह घर नहीं खरीदती और उस 1.25 करोड़ (डाउन पेमेंट की रकम) को म्यूचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कर देती है। 25 साल बाद, उसके पास इतना पैसा होगा कि वह वैसे 3 घर खरीद सकती है।
नियम: घर की Total Cost of Ownership (EMI + मेंटेनेंस + टैक्स) आपकी इनकम के 40% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। अगर आप अपनी कमाई का 50-60% हिस्सा सिर्फ घर की EMI में दे रहे हैं, तो आप ‘House Poor’ हैं।
अध्याय 6: FIRE और रिटायरमेंट प्लानिंग (The Bucket Strategy)
जल्दी रिटायर होने (FIRE – Financial Independence, Retire Early) का सपना सब देखते हैं, लेकिन सबसे बड़ा डर यह होता है—”अगर रिटायरमेंट के बाद मार्केट गिर गया तो?”
इसे Sequence of Returns Risk कहते हैं। इससे बचने के लिए “Well and Bucket Strategy” (कुआं और बाल्टी) अपनाएं:
कुआं (The Well): यह आपका पूरा कॉर्पस (जमा पूंजी) है, मान लीजिए ₹5 करोड़।
बाल्टी 1 (अगले 2 साल का खर्च): इसे एकदम सुरक्षित Liquid Funds या FD में रखें। मार्केट गिरे या उठे, आपका घर का खर्च सुरक्षित है।
बाल्टी 2 (अगले 5 साल का खर्च): इसे Hybrid Funds में रखें।
बाल्टी 3 (दीर्घकालिक): बाकी पैसा Equity (Mid/Small Cap) में रखें ताकि वह बढ़ता रहे।
जैसे-जैसे बाल्टी 1 खाली हो, बाल्टी 2 और 3 से निकालकर उसे भरते रहें।
अध्याय 7: कर्ज के जाल से कैसे निकलें? (Getting Out of Debt Trap)
अगर आप बुरी तरह कर्ज में फंस चुके हैं, तो संजय 3 स्टेप का फॉर्मूला बताते हैं:
निर्मम सफाई (Ruthless Cutting): अपने घर में देखें। जो चीजें आपने पिछले 1 साल से इस्तेमाल नहीं की हैं (पुराने फोन, कपड़े, फर्नीचर), उन्हें OLX पर बेच दें। इसे “Marie Kondo on Steroids” अप्रोच कहते हैं। इससे तुरंत कुछ कैश मिलेगा।
सॉफ्ट लोन (Family & Friends): बैंक से पर्सनल लोन लेने के बजाय परिवार या दोस्तों से मदद मांगें। यह आपके CIBIL स्कोर को बचाएगा। बैंक का One Time Settlement (OTS) आखिरी विकल्प होना चाहिए क्योंकि यह आपके फाइनेंशियल रिकॉर्ड पर 4-5 साल के लिए धब्बा लगा देता है।
आय बढ़ाएं (Increase Income): खर्चे कम करने की एक सीमा है, लेकिन कमाई बढ़ाने की कोई सीमा नहीं है। फ्रीलांसिंग या साइड गिग शुरू करें।
निष्कर्ष: दिखावे की दुनिया में असलियत चुनें
संजय कथूरिया का पूरा दर्शन (Philosophy) एक बात पर टिका है—”Don’t spend for the Gram” (इंस्टाग्राम के लिए खर्च मत करो)।
जब आप ₹200 की कॉफी या ₹1 लाख का ट्रिप सिर्फ इसलिए लेते हैं ताकि सोशल मीडिया पर कुछ ‘Likes’ मिल सकें, तो आप उन लाइक्स के लिए अपने भविष्य की बलि दे रहे होते हैं।
मुख्य बातें (Key Takeaways):
3 बैंक अकाउंट खोलें और सैलरी को ऑटोमेट करें।
SIP बंद न करें, चाहे मार्केट गिरे (बल्कि गिरने पर और डालें)।
इंश्योरेंस को निवेश न समझें, उसे सुरक्षा समझें।
खिचड़ी को किनारे से खाएं (सुरक्षित शुरुआत करें)।
अमीर बनना कोई जादुई घटना नहीं है, यह बोरिंग आदतों का नतीजा है जिन्हें लंबे समय तक दोहराया जाता है। कछुआ ही हमेशा रेस जीतता है।
WebHindi.net राय:
यह वीडियो और संजय कथूरिया की सलाह भारतीय मध्यम वर्ग (Middle Class) के लिए आंखें खोलने वाली है। अगर आप आज से ही ‘3 अकाउंट सिस्टम’ लागू कर देते हैं, तो यकीन मानिए, अगले 3 महीनों में आपकी फाइनेंशियल स्थिति बदल जाएगी।
क्या आप इस रणनीति को अपनाने के लिए तैयार हैं? कमेंट में हमें बताएं!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या 3 बैंक अकाउंट रखने के लिए अलग-अलग बैंकों में जाना पड़ेगा?
उत्तर: हाँ, यह बेहतर है। लेकिन आप एक ही बैंक में भी अलग-अलग अकाउंट रख सकते हैं। मुख्य उद्देश्य पैसे को अलग-अलग रखना है ताकि वह गलती से खर्च न हो जाए।
Q2. मुझे अपनी सैलरी का कितना प्रतिशत निवेश करना चाहिए?
उत्तर: नियम 50-30-20 का है। 50% जरूरतों पर, 30% इच्छाओं पर, और कम से कम 20% निवेश पर। लेकिन जितनी जल्दी आप इसे 30% या 40% कर सकें, उतना बेहतर है।
Q3. क्या गोल्ड में निवेश करना सही है?
उत्तर: फिजिकल गोल्ड या ज्वेलरी निवेश नहीं है। अगर निवेश करना है तो Sovereign Gold Bonds (SGB) या Gold ETFs सबसे अच्छे विकल्प हैं क्योंकि इनमें मेकिंग चार्ज नहीं लगता और टैक्स बेनिफिट मिलते हैं।
(Disclaimer: यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें।)
