Magadh Empire History in Hindi | मगध साम्राज्य का इतिहास

मगध साम्राज्य का इतिहास

मगध महाजनपद का वर्णन (Details of Magadh Empire)

 

भगवान बुद्ध के जन्म के ठीक पहले लगभग 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत 16 महाजनपदों में बॅंटा हुआ था । इसका उल्लेख हमलोगों को बौद्ध ग्रन्थ के ‘अंगुत्तरनिकाय’ में मिलता है । इन 16 महाजनपदों में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद था । वर्त्तमान में ‘पटना’ एवं ‘गया’ जिला इसमें सम्मिलित थे ।

 

मगध साम्राज्य का सर्वप्रथम उल्लेख हमें अथर्ववेद में मिलता है । भगवान बुद्ध के समय यह एक शक्तिशाली राजतंत्रों में से एक था, जो आगे चलकर उत्तर भारत का सबसे अधिक शक्तिशाली महाजनपद बन गया ।

मगध महाजनपद का विस्तार उत्तर में गंगा से लेकर दक्षिण में विंध्य पर्वत तक था एवं पूर्व में चम्पा से लेकर पश्चिम में सोन नदी तक था ।

मगध साम्राज्य की प्राचीन राजधानी ‘राजगृह’ थी, जो पाँच पहाड़ियों से घिरा हुआ नगर था । बाद में मगध साम्राज्य की राजधानी ‘पाटलिपुत्र’ बनी जो वर्तमान में पटना के नाम से जाना जाता है ।

मगध साम्राज्य के राजवंश (Dynasties of Magadh Empire)

हर्यक वंश (545 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व) | Haryak Dynasty (545 BC to 412 BC)-

बिम्बिसार- हर्यक वंश का सबसे शक्तिशाली एवं प्रतापी राजा बिम्बिसार था। बिम्बिसार का शासन काल 545 ईसा पूर्व से 493 ईसा पूर्व था। इसने गिरिब्रज को अपनी राजधानी बनाई। बिम्बिसार का उपनाम ‘श्रेणिक’ था। बिम्बिसार की पत्नी कोशल देवी प्रसेनजीत की बहन थी, जिससे उसे काशी नगर का राजस्व प्राप्त हुआ था। उसकी दूसरी पत्नी ‘चेल्लना’ वैशाली के लिच्छवी प्रमुख चेटक की बहन थी। इसके पश्चात उसने मद्र देश की राजकुमारी क्षेमा के साथ विवाह कर मद्रों का सहयोग स्थापित किया। महाबग्ग में उसकी 500 पत्नी का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार बिम्बिसार ने लगभग 28 वर्षों तक शासन किया। बुद्ध से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था एवं बेलुवन नामक उद्यान बुद्ध और संघ को दान कर दिया था। बिम्बिसार ने ‘राजगृह’ नामक नवीन नगर की स्थापना किया।अंतिम समय में ‘अजातशत्रु’ अपने पिता बिंबिसार की हत्या कर दी।

अजातशत्रु- अजातशत्रु का शासनकाल 493 ईसा पूर्व से 461 ईसा पूर्व था। अजातशत्रु को ‘कुणिक’ भी कहा जाता है। उसने अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करके मगध के सिंहासन पर बैठा था। पुराणों के अनुसार अजातशत्रु ने 28 वर्ष जबकि बौद्ध साक्ष्य के अनुसार 32 वर्ष तक शासन किया था। अंतिम समय में अजातशत्रु की हत्या उसके पुत्र द्वारा कर दी गयी थी।

उदायिन- उदायिन का शासनकाल 461 ईसा पूर्व से 445 ईसा पूर्व तक था। पुराणों एवं संहिता के अनुसार उदायिन ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर ‘पाटलिपुत्र’ नामक राजधानी की स्थापना की, जो वर्त्तमान में ‘पटना’ के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार उदायिन ने पाटलिपुत्र पर 33 वर्ष एवं महावंश के तक शासन किया। उदायिन जैन धर्म का अनुयायी था। बौद्ध साहित्य के अनुसार उदायिन के बाद अनुरुद्ध, मुण्ड और नागदशक ने मिलकर करीब 412 ईसा पूर्व तक शासन किया। इसमें तीनों को पितृहन्ता कहा गया है।

2. शिशुनाग वंश (412 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व) | Shishunaag Dynasty (412 BC to 344 BC)

शिशुनाग- शिशुनाग वंश के शिशुनाग ने मगध साम्राज्य में अवन्ति एवं वत्स राज को जीतकर मगध में मिलाया, जिससे मगध साम्राज्य का विस्तार उत्तर भारत में मालवा से बंगाल तक हो गया। इसने वैशाली को अपनी राजधानी बनाया।

कालाशोक या काकवर्ण- कालाशोक का शासनकाल 394 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व तक था। पुराणों में कालाशोक का अन्य नाम काकवर्ण मिलता है। इसने वैशाली के स्थान पर ‘पाटलिपुत्र’ अपनी राजधानी बनाया। सिहली महाकाव्य के अनुसार भगवन बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 100 वर्षों के बाद 383 ईसा पूर्व में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन कालाशोक के शासनकाल वैशाली में हुआ, जिसमें बौद्ध संघ स्थविर एवं महासंघिक के रूप में बँट गया। दीपवंश एवं महावंश के अनुसार कालाशोक ने करीब 28 वर्षों तक शासन किया। इस वंश का अंतिम शासक संभवतः नन्दिवर्धन था, जिसका उत्तराधिकारी महानन्दिन था। महापद्मनंद ने इसकी हत्या कर नन्द वंश की स्थापना की।

3. नन्द वंश (344 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व) | Nanda Dynasty (344 BC to 322 BC)

पुराणों के अनुसार नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनंद एक शूद्र शासक था। जैन ग्रन्थ के अनुसार नापित पिता एवं वैश्य माता का पुत्र था। आवश्यक सूत्र में उसे नापित दास उसे नापितदास अर्थात नाई का दास कहा गया है। महावंश टीका में उसे अज्ञात कुल का कहा गया है। पुराणों में इसे अनुल्लंघित शासक (एकक्षत्र पृथ्वी का राजा), भार्गव (परशुराम के सामान, सर्वक्षत्रांतक (क्षत्रियों का नाश करने वाला) आदि कहा गया है। अपनी विजयों के कारण महापद्मनंद ने मगध को एक विशाल साम्राज्य में परिवर्तित कर दिया। ‘खारवेल’ के ‘हाथीगुम्फा अभिलेख’ उसके कलिंग विजय का सूचक है। महापद्मनंद के आठ पुत्रों में अन्तिम पुत्र घनानन्द सिकन्दर के समकालीन था। ग्रीक लेखकों ने इसे अग्रमीज एवं जैन्द्रमीज कहा है। घनानन्द के शासन काल में ही सिकन्दर ने करीब 325 ईसा पूर्व में पश्चिम तट पर आक्रमण किया। घनानन्द का अन्त चन्द्रगुप्त मौर्य ने किया।

FAQ-

Q: सोलह महाजनपदों के बारे में किस बौद्ध ग्रन्थ से जानकारी मिलती है ?

Ans : अंगुत्तरनिकाय

Q : हर्यक वंश के किस शासक को कुणिक कहा जाता है ?

Ans : अजातशत्रु

Q : किस शासक ने गंगा एवं सोन नदियों के संगम पर ‘पाटलिपुत्र’ नमक नगर की स्थापना की ?

Ans : उदायिन

Q : शिशुनाग वंश का वह कौन सा शासक था, जिसके समय में वैशाली में द्वितीय बौद्धसंगीति का आयोजन किया गया, उसे काकवर्ण के नाम से भी जाना जाता था ?

Ans : कालाशोक

Q : ग्रीक लेखकों द्वारा किसे ‘अग्रमीज’ कहा गया ?

Ans : महापद्मनंद

 

 

इस लेख में हमें निम्नलिखित बातों की जानकारी मिली-

मगध साम्राज्य का उदय PDF.

मगध साम्राज्य का उत्कर्ष।

मगध साम्राज्य का संस्थापक कौन था।

हिंदी में मगध साम्राज्य इतिहास।

मगध साम्राज्य नोट्स।

मगध साम्राज्य के राजा।

मगध साम्राज्य का अंतिम शासक।

मगध साम्राज्य के उत्कर्ष के कारण।

नीचे दिए गए प्रश्नो के उत्तर आप कमेंट बॉक्स में जरूर दें ।

मगध वंश का संस्थापक कौन था?

मगध के राजा का नाम क्या था?

मगध साम्राज्य में कितने वंश है?

मगध साम्राज्य का अंतिम राजा कौन था?

नंद वंश की स्थापना कब हुई थी?

नंद वंश के पहले कौन सा वंश था?

मगध का प्रथम राजा कौन था?

सबसे पुराना राजवंश कौन सा है?

मगध का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था?

अजातशत्रु की राजधानी कहाँ थी?

मगध की राजधानी पाटलिपुत्र कब बनी थी?

पाटलिपुत्र का दूसरा नाम क्या है?

बिहार की राजधानी पटना कब बना था?

महापद्मनंद के पिता का नाम क्या था?

बिहार का सबसे पहला राजधानी कौन था?

नंद वंश के संस्थापक कौन हैं?

 

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